क्षेत्रीय पहचान पर गंभीर आघात निहालगढ़ रेलवे स्टेशन का नाम बदलना:
निहालगढ़, अमेठी: निहालगढ़ रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बिजली पासी करना क्षेत्र की जनता के सम्मान और उनकी गहरी भावनाओं के साथ एक गंभीर खिलवाड़ के रूप में सामने आया है। इस कदम से क्षेत्र के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर की उपेक्षा की गई है, जिससे जनता में आक्रोश और असंतोष फैल गया है।
निहालगढ़ का ऐतिहासिक महत्व
निहालगढ़ और उसके आस-पास का क्षेत्र अपने गौरवशाली अतीत के लिए जाना जाता है। सदियों पहले इस क्षेत्र पर राजा मलिक पाल का शासन था, जिनके पुत्र निहालचंद और गुलाबचंद ने निहालगढ़ और गुलाबगंज की स्थापना की थी। निहालगढ़ का नाम यहां के लोगों के लिए उनके पूर्वजों की वीरता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह नाम स्थानीय लोगों के दिलों में विशेष स्थान रखता है, क्योंकि यह उनके इतिहास और विरासत की एक जीवंत याद है।
जगदीशपुर का नाम भी राजा मलिक पाल के गुरु, जगदीश पांडे, के नाम पर रखा गया था। जगदीश पांडे की समाधि आज भी यहां एक मंदिर के रूप में स्थित है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बना हुआ है। यहां की धरोहर और संस्कृति का इतना गहरा प्रभाव है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी भी यहां आकर श्रद्धांजलि अर्पित करते थे।
बिजली पासी का नामकरण: ऐतिहासिक संदर्भ का अभाव
निहालगढ़ रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बिजली पासी करना जनता के लिए अस्वीकार्य इसलिए भी है क्योंकि बिजली पासी का इतिहास लखनऊ से जुड़ा है, न कि जगदीशपुर या अमेठी से। इस क्षेत्र का कोई भी ऐतिहासिक या सांस्कृतिक संबंध बिजली पासी से नहीं है, जिसके कारण यहां के लोगों को इस नाम परिवर्तन पर गहरी आपत्ति है। यदि नाम बदलना ही था, तो स्थानीय जनता का मानना है कि इसे किसी स्थानीय महापुरुष, सिद्ध पुरुष, या जगदीश बाबा के नाम पर रखा जाना चाहिए था, जो इस क्षेत्र की पहचान और सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ा हो।
जनता का विरोध और मांगें
इस निर्णय से जनता में गहरा आक्रोश है। लोग इसे उनकी सांस्कृतिक पहचान और गौरव पर हमला मान रहे हैं। निहालगढ़ का नाम उनके लिए सिर्फ एक स्टेशन का नाम नहीं है, बल्कि उनके इतिहास और धरोहर का प्रतीक है। जनता की मांग है कि या तो निहालगढ़ का नाम वापस रखा जाए या फिर इसे किसी ऐसे महापुरुष के नाम पर रखा जाए जो वास्तव में इस क्षेत्र से संबंधित हो और स्थानीय इतिहास एवं संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता हो।
विरासत की रक्षा की पुकार
यह स्पष्ट है कि निहालगढ़ का नाम बदलना क्षेत्रीय इतिहास और धरोहर के प्रति एक गंभीर अनादर है। जनता की मांग है कि या तो इस निर्णय को तुरंत वापस लिया जाए, या फिर आगामी चुनावों में इसका असर देखने को तैयार रहें। जनता अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर की रक्षा के लिए संगठित हो चुकी है और वे इसे बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
निष्कर्ष
निहालगढ़ रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बिजली पासी करना एक ऐसा कदम है, जो क्षेत्र के लोगों के गौरवशाली अतीत और सांस्कृतिक धरोहर का अपमान करता है। यह परिवर्तन जनता की भावनाओं पर गहरी चोट पहुंचाने वाला साबित हुआ है। जनता का एकमत से यह कहना है कि उनकी आवाज़ को सुना जाए और निहालगढ़ का नाम पुनः बहाल किया जाए या फिर इसे किसी ऐसे महापुरुष के नाम पर रखा जाए जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर से संबंधित हो।