डीपीआई के जरिये लोगों को सशक्त कर रहा भारत बना दुनिया के लिए प्रेरणास्त्रोत

डीपीआई के जरिये लोगों को सशक्त कर रहा भारत बना दुनिया के लिए प्रेरणास्त्रोत

नई दिल्ली। भारत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) पर न केवल अपने नागरिकों को सशक्त कर रहा है, बल्कि वह दुनिया भर के अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा का एक स्त्रोत बनकर उभरा है। इसकी झलक पिछले हफ्ते देखने को मिली, जब भारत ने डीपीआई पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की।
यह पहला मौका था, जब भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय मंच पर मेजबानी करते हुए डीपीआई में बढ़ते देश के कदमों को दुनिया के सामने रखा। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने रविवार को सम्मेलन की मेजबानी पर खुशी जाहिर करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट साझा की। उन्होंने लिखा डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना पर संयुक्त राष्ट्र के पहले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत के नेतृत्व का जश्न मना रहे हैं। हम वैश्विक एसडीजी को आगे बढ़ाने और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए डीपीआई का उपयोग कर रहे हैं।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा भारत ने यह सुनिश्चित करना एक नीतिगत उद्देश्य बना लिया है कि डिजिटल क्रांति का लाभ देश के विविध समाज के हर कोने तक पहुंचे। इस दृष्टिकोण ने ‘इंडिया स्टैक’ के विकास को जन्म दिया है, जो सभी के लिए सुलभ डिजिटल उपकरणों का एक गुलदस्ता है।
इस दौरान उन्होंने समावेशी विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए डीपीआई की शक्ति का उपयोग करने में भारत की यात्रा को साझा किया। वैष्णव ने यूएन में कहा है कि भारत ‘डीपीआई के जरिये लोगों को सशक्त बनाने की अपनी यात्रा इस उम्मीद से साझा कर रहा है कि वह अन्य देशों को प्रेरणा देगा, सभी से सीखेगा और अपने खुद की डिजिटल प्राथमिकताओं को निर्धारित करेगा।
इस सम्मेलन में राजदूत रुचिरा कंबोज के अलावा, भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत, संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के प्रशासक अचिम स्टेनर ने भी भाग लिया।
इस दौरान कांत ने ‘सिटीजन स्टैक का उपयोग करके डिजिटल फ्रंटियर को आगे बढ़ाना’ विषय पर एक मुख्य भाषण दिया, जिसके माध्यम से उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत के डीपीआई ने वित्तीय समावेशन, शासन और सेवा वितरण में क्रांति ला दी है, जिससे डिजिटल सुधारों के माध्यम से सकल घरेलू उत्पाद में 1.1% की बचत हुई है। वहीं फ्रांसिस ने एक ट्वीट के जरिये डिजिटल बुनियादी ढांचे का विस्तार करने पर जोर दिया।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)

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