दो माह से मानदेय न मिलने से शिक्षामित्र भुखमरी के कगार पर जल्द मानदेय ना मिला तो शिक्षामित्र करेंगे जिला मुख्यालय का घेराव

सुल्तानपुर।
सुल्तानपुर में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालय में कार्य शिक्षामित्र को दो माह से मानदेय न मिलने से उसकी माली स्थित होने के कारण भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं।

उत्तर प्रदेश में परिषदीय विद्यालय को सुचार रूप से चलने के लिए दो दशक पूर्व भाजपा सरकार के द्वारा शिक्षामित्र की नियुक्ति करते हुए परिषदीय विद्यालय की गुणवत्ता को बढ़ाकर शैक्षिक ढांचों को मजबूत किया गया था। आज भाजपा की सरकार में शिक्षामित्र अपने मानदेय को पाने के लिए तरस रहे हैं । वर्तमान सरकार की शिथिलता के कारण काफी शिक्षामित्र इसी अवसाद में काल के गाल में समा गए लेकिन इसके बाद भी सरकार शिक्षामित्र के प्रति संवेदनहीन बनी हुई है।
सुल्तानपुर में एक हजार सात सौ सतहत्तर शिक्षामित्र सर्व शिक्षा अभियान के तहत कार्यरत हैं जिन्हें ₹10000 प्रति माह की दर से मानदेय दिया जाता है। एक माह मानदेय में 1 करोड़ 77 लाख रुपए का ग्रांट राज्य सरकार के द्वारा भेजा जाता रहा है। लेकिन वर्तमान में दो माह से ग्रांट नहीं भेजी जा रही है। शिक्षामित्र की स्थिति बहुत ही दैनीय हो रही है । भीषण महंगाई, बीमारी, खाना ,कपड़ा ,माता-पिता की सेवा ,बच्चों की पढ़ाई का बोझ इनके साहस को तोड़ रहा है।
इसका प्रभाव परिषद विद्यालय में अध्यनरत बच्चों के ऊपर पड़ना स्वाभाविक है।
आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष दिनेश चंद्रा के द्वारा बताया गया कि शिक्षामित्र अपनी पूरी जवानी परिषद विद्यालय के बच्चों को संवारने में लगा दिए लेकिन इनका खुद का जीवन बहुत ही दयनीय हो गया है । सरकार समय से समस्याओं का निस्तारण नहीं करती है तो मजबूरन शिक्षामित्रो के साथ संघर्ष करने के लिए हम तैयार हैं।
जिला महामंत्री प्रदीप यादव के द्वारा बताया गया कि सरकार दो माह से ग्रांट नहीं भेज रही है जिससे शिक्षामित्र को मानदेय नहीं मिल पाया है। संगठन के मांग पर विभाग द्वारा शिक्षा महानिदेशक को पत्र भेजा गया है लेकिन अभी तक मानदेय ग्रांट उपलब्ध न होने से शिक्षामित्र के दो माह का मानदेय अवशेष है ‌। समय रहते ही मानदेय उपलब्ध नहीं हुआ तो अपने संगठन के बैनर तले शिक्षामित्र अपने परिवार बच्चों के साथ जनपद मुख्यालय का घेराव करने के लिए विवश होंगे।
शिक्षामित्रों को दो माह से मानदेय न मिलने के कारण सारे त्यौहार फीके पड़े हैं । वर्तमान जनप्रतिनिधियों के द्वारा दावा किया जाता है कि सभी समस्याओं को प्रमुखता से निस्तारण करते हुए उत्तर प्रदेश की जनता को सुशासन उपलब्ध करा रहे हैं। दो-दो माह तक संविदा कर्मियों को मानदेय ना मिल पाना वर्तमान सरकार की पोल खोल दे रही है। शिक्षामित्र भुखमरी की कगार पर पहुंचकर अब रोड पर आने के लिए विवश दिखाई दे रहे हैं ।

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