रिपोर्ट/सह-संपादक विनायक गिरि अमेठी सुमन हिंदी न्यूज़ यूपी
अमेठी। मंगौली ग्राम में प्रस्तावित हेल्थ वेलनेस सेंटर के निर्माण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की नामांकित भूमि, जो ग्रामसभा मंगौली के बीच एनएच-330 फैजाबाद रोड पर स्थित है, पर ही सेंटर का निर्माण किया जाए। यह भूमि सभी गांवों के लिए सुलभ और क्षेत्रीय विकास के लिए सर्वश्रेष्ठ है।
स्वास्थ्य विभाग के नाम पर दर्ज गाटा संख्या-890 (0.038 हेक्टेयर) और गाटा संख्या-891 (0.021 हेक्टेयर) मुख्य सड़क से सटी हुई हैं। ग्रामीणों का मानना है कि इस स्थान पर हेल्थ वेलनेस सेंटर बनने से मंगौली, बुबूपुर, पीरपुर, साहब का पुरवा और जंगलपुरवा के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अंशुमान सिंह ने 4 दिसंबर 2024 को उपजिलाधिकारी मुसाफिरखाना को पत्र लिखकर इस भूमि की पैमाइश कर निर्माण कार्य शुरू कराने का निर्देश दिया था।
ग्रामीणों का आरोप है कि विधायक के दबाव में स्वास्थ्य विभाग की भूमि को छोड़कर ग्रामसभा के बाहरी क्षेत्र में, जो मुख्य सड़क से लगभग 500 मीटर अंदर है, सेंटर का निर्माण कराया जा रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि यह निर्णय न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता को बाधित करेगा, बल्कि यह स्थान सुरक्षा और पहुंच के लिहाज से भी उपयुक्त नहीं है।
ग्रामीणों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि निर्माण कार्य को निजी स्वार्थ से प्रेरित होकर विधायक समर्थकों की जमीन के पास किया जा रहा है, ताकि उनकी भूमि की कीमत बढ़ सके और विकास का लाभ केवल चंद लोगों तक सीमित रहे।
9 दिसंबर 2024 को ग्रामीण प्रतिनिधि राम गोपाल तिवारी ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की नामांकित भूमि पर ही सेंटर निर्माण की मांग की। जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया कि इस मामले पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारियों से चर्चा कर जल्द समाधान निकाला जाएगा।
10 दिसंबर को राम गोपाल तिवारी ने एसडीएम मुसाफिरखाना से भी मुलाकात की। एसडीएम ने उन्हें आश्वासन दिया कि स्वास्थ्य विभाग की दर्ज भूमि पर ही निर्माण कार्य कराया जाएगा। साथ ही, ग्रामीणों ने अपने क्षेत्र में स्थित जर्जर एएनएम सेंटर को भी इसी भूमि पर स्थानांतरित कर पुनर्निर्माण कराने की मांग दोहराई।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को अनदेखा किया गया, तो वे न्यायालय का सहारा लेंगे और बड़े पैमाने पर जन आंदोलन करेंगे। उनका कहना है कि यह केवल भूमि का मुद्दा नहीं है, बल्कि क्षेत्र के विकास और स्वास्थ्य सेवाओं के अधिकार की लड़ाई है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि विधायक के दबाव में आकर गलत निर्णय न लें और क्षेत्रीय विकास तथा जनहित को प्राथमिकता दें।