पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में सहयोग बढ़ाएंगे भारत और थाईलैंड
थाईलैंड के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री पर्णप्री बहिधा-नुकारा का चार दिवसीय भारत दौरा बुधवार को संपन्न हुआ। वह भारत-थाईलैंड संयुक्त आयोग की बैठक में हिस्सा लेने के लिए नई दिल्ली के दौरे पर थे।
उन्होंने मंगलवार को विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ यहां हैदराबाद हाउस में 10वीं भारत-थाईलैंड संयुक्त आयोग की बैठक की सह-अध्यक्षता की। इस दौरान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद, जयपुर और थाईलैंड के पारंपरिक एवं वैकल्पिक चिकित्सा विभाग के बीच एकेडमिक करार हुआ है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा जेसीएम के दौरान दोनों मंत्रियों ने रक्षा एवं सुरक्षा, व्यापार एवं निवेश, कनेक्टिविटी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, संस्कृति और लोगों से लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित द्विपक्षीय सहयोग के व्यापक क्षेत्रों में प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने आपसी हित के क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। दोनों मंत्रियों ने आसियान, बिम्सटेक, एमजीसी, एसीएमईसीएस और आईएमटी-जीटी के ढांचे के भीतर उप-क्षेत्रीय, क्षेत्रीय तथा बहुपक्षीय प्लेटफार्मों में सहयोग को और बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
बैठक के बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा रणनीतिक, रक्षा, सुरक्षा, व्यापार एवं निवेश, फार्मास्यूटिकल्स, कनेक्टिविटी, डिजिटल, अंतरिक्ष और पर्यटन में हमारे द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार पर चर्चा हुई। साथ ही म्यांमार, भारत-आसियान और बहुपक्षीय सहयोग पर भी विचार साझा किए। आयुर्वेद और थाई पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में समझौता हुआ।
जयशंकर ने इंडो-पैसिफिक महासागर पहल (आईपीओआई) के समुद्री पारिस्थितिकी स्तंभ का सह-नेतृत्व करने के थाईलैंड के फैसले का स्वागत किया। अपनी यात्रा के समापन से पहले नुकारा ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी मुलाकात की और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, भाषाई तथा धार्मिक संबंधों पर चर्चा की।
ऐसे समय में जब भू-राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव आ रहा है, थाईलैंड के डिप्टी पीएम की भारत यात्रा दोनों देशों के बीच आपसी साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)