राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भाजपा में आने के बाद राजनीतिक करियर की बुलंदियां छूने वाले इटावा के सांसद प्रो. राम शंकर कठेरिया को टोरेंट के ‘करंट’ से सियासी झटका लग गया है।
शहर में विद्युत आपूर्ति करने वाली कंपनी टोरेंट पावर के कार्यालय में 12 साल पहले मारपीट और बलवा के मामले में उन्हें शनिवार को कोर्ट ने दो साल कैद की सजा सुनाई। जिसके बाद उनकी लोकसभा की सदस्यता खतरे में पड़ गई है। आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने पर भी संशय के बादल मंडरा रहे हैं।
शहर में विद्युत आपूर्ति करने वाली कंपनी टोरेंट पावर के कार्यालय में 12 साल पहले मारपीट और बलवा के मामले में उन्हें शनिवार को कोर्ट ने दो साल कैद की सजा सुनाई। जिसके बाद उनकी लोकसभा की सदस्यता खतरे में पड़ गई है। आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने पर भी संशय के बादल मंडरा रहे हैं।
संघ में प्रचारक की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं कठेरिया
संघ में विभाग प्रचारक रहने के बाद प्रो. राम शंकर कठेरिया ने भाजपा में जिला संगठन में जिम्मेदारी संभाली। वर्ष 2009 में आगरा लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। वर्ष 2014 में वे फिर यहीं से सांसद बने। उन्हें केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री बनाया गया। मंत्री पद से हटने के बाद प्रो. कठेरिया राष्ट्रीय एससी आयोग के अध्यक्ष बनाए गए।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में वे आगरा सीट से ही तैयारी कर रहे थे। मगर, उनकी आक्रामक छवि आड़े आ गई। जिले के अधिकांश विधायक और कार्यकर्ता उनके खिलाफ लामबंद हो गए। आंतरिक बगावत को देखते हुए पार्टी ने उन्हें गृह जनपद इटावा से टिकट दी। वहां से भी वे विजयी रहे।
2024 में आगरा से चुनाव लड़ने की कर रहे थे तैयारी
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए उन्होंने आगरा वापसी को लेकर सियासी गोट बिछानी शुरू कर दी थीं। वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद उन्होंने कई विधायकों को व्यक्तिगत तौर पर घर जाकर शुभाकामनाएं देकर अपने पाले में लाने का प्रयास किया था।
उनके आयोजकत्व में अप्रैल में तुलसी पीठाधीश्वर जगदगुरु श्री रामभद्राचार्य की कोठी मीना बाजार मैदान में हुई कथा उनकी आगरा में वापसी की संभावना से जोड़कर देखा जा रहा था। शनिवार को दो वर्ष कारावास की सजा होने के बाद उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर चर्चाएं गर्म हो गई हैं।