अमेठी की जनता में चर्चाओं का बाजार गर्म संजय गाँधी अस्पताल बंद होने से परेशान हो रहे मरीज
अमेठी. जनपद के मुंशीगंज में स्थापित संजय गाँधी अस्पताल जिला प्रशासन द्वारा अस्पताल के पंजीकरण को निलंबित करने से बंद कर दिया गया है और अस्पताल की सभी सेवाएँ बंद कर दी गई हैं. बताते चलें की संजय गाँधी अस्पताल का शिलान्यास 1 सितम्बर 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरागांधी द्वारा किया गया था. तब उन्होंने अस्पताल को अमेठी की जनता को समर्पित करते हुए कहा था कि संजय गाँधी अस्पताल की स्थापना अमेठी और इसके आस-पास के क्षेत्रों के लोगों को अत्याधुनिक चिकित्सा और स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ प्रदान करने के लिए की गई थी. पूर्व प्रधानमंत्री व् तत्कालीन संजय गाँधी मेमोरियल ट्रस्ट की अध्यक्ष इंदिरा गाँधी द्वारा देखे गए सपने को संजय गाँधी अस्पताल ने बहुत अच्छी तरह से निभाया. संजय गाँधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा संचालित संजय गाँधी अस्पताल वर्ष 1996 से पूर्णतया कार्यशील हुआ
तब से लेकर आज तक इस अस्पताल से लाखों मरीजों का इलाज हुआ. अमेठी ही नहीं आस-पास के कई जनपदों के मरीज बड़ी संख्या में यहाँ इलाज के लिए आते रहे हैं. अगर हम अमेठी जनपद की बात करें तो अमेठी जनपद का शायद ही कोई परिवार होगा जिसके घर का कोई सदस्य अथवा कोई रिश्तेदार यहाँ इलाज कराकर स्वास्थ्य लाभ ना लिया हो. स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ बड़ी संख्या में अस्पताल ने लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार भी प्रदान किया है.
अस्पताल में मेडिसिन, सर्जरी, आर्थोपेडिक, स्त्री रोग, बाल चिकित्सा, नाक-कान-गला, दन्त, त्वचा संबंधी रोगों के इलाज के साथ इमरजेंसी, 300 यूनिट का ब्लड बैंक जैसी अत्याधुनिक सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं इस प्रकार की सभी सुविधाएँ एक ही छत के नीचे किसी भी अन्य अस्पताल में दुर्लभ हैं.
14 सितम्बर को पथरी के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती एक मरीज की इलाज के दौरान एनिस्थीसिया दिए जाने के बाद हालत बिगड़ गई और रेफर होने के बाद लखनऊ के एक अस्पताल में मरीज को भर्ती कराया गया जहाँ उसे मृत घोषित कर दिया गया. जिसमे इलाज के दौरान लापरवाही का आरोप मरीज के परिजनों ने लगाया. जिसका संज्ञान लेते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी ने तीन सदस्यीय कमेटी से जाँच कराकर पहले अस्पताल को नए मरीजों की भर्ती पर रोक लगाया और तीन महीनों के अंदर कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए कहा. किन्तु, अगले दिन 18 सितम्बर को सीएमओ ने नोटिस देकर कहा कि प्रचलित प्रकरण में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही सिद्ध होती है. सीएमओ द्वारा अस्पताल का पंजीकरण निलंबित कर दिया गया और नए मरीजों के उपचार पर रोक लगा दिया गया.
18 सितम्बर से ही संजय गाँधी अस्पताल बंद कर दिया गया है और उसके मुख्य द्वार पर पर्चा चिपका दिया गया है जिसमे लिखा है कि ‘शासन के आदेशानुसार अस्पताल बंद है’
अस्पताल बंद होने से क्षेत्र के मरीज वापस लौट रहे हैं और काफी परेशान हैं. अमेठी के निवासियों में आम चर्चा है की इलाज में लापरवाही के दौरान अगर किसी मरीज की जान गई है तो जांचकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए किन्तु अस्पताल बंद किए जाने से जनता को परेशानी हो रही है
लोगों का यह भी कहना है कि अस्पताल सभी के लिए होता है. पूर्व में ठीक हुआ एक मरीज भावुक होते हुए बोला की यह अस्पताल अमेठी के लिए किसी मेडिकल कालेज से कम नहीं है. रात में अगर कोई दिक्कत होती है तो कम से कम फर्स्ट एड तुरंत मिल जाता है. अस्पताल की सेवाएँ बंद होने से मरीजों और उनके तीमारदारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सबसे अधिक वह मरीज परेशान हैं जो कुछ दिनों पहले सर्जरी कराए थे और उनको फालोअप में दिखाना था या टांका कटवाना था